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लेखनी कहानी -17-May-2022 धारावाहिक : बहू पेट से है

भाग -5 : गंभीर समस्या 


आज शीला चौधरी के अहाते में "लेडीज क्लब" का मेला लग रहा था । कई दिनों के बाद आज लेडीज क्लब सरसब्ज हुआ था । इसलिए सब महिलाओं के चेहरे चमक रहे थे । कुछ तो गपशप करने के कारण और,कुछ मेकअप करने के कारण । कुछ ने तो जरूरत से ज्यादा मेकअप कर रखा था और कुछ ने अपना पूरा थोबड़ा ही पोत रखा था । श्यामा जी को ही देख लो । 75 की हो गई हैं वे । कल ही उन्होंने शादी की गोल्डन जुबली मनाई थी । पूरी दुल्हन बनकर आईं थीं स्टेज पर । क्या मजाल कि एक भी झुर्री दिख जाये चेहरे पर । पार्लर वाली से तय करते समय ही यह बात कर ली थी कि झुर्रियां बिल्कुल नहीं दिखनी चाहिए चेहरे पर । पार्लर वाली भी बहुत होशियार थी । वह झुर्रियां तो हटा नहीं सकती थी इसलिए उसने श्यामा जी का चेहरा ही मेकअप से इतना पोत दिया कि उन्हें कोई पहचान ही नहीं पा रहा था । लक्ष्मी जी तो उनके पति से कह भी आई "भाईसाहब,  आप शादी कर रहे हो या शादी की 50 वीं सालगिरह" । उनके पतिदेव बेचारे शर्म से पानी पानी हो गये । 
श्यामा जी को देखकर शोभना जी चुपके से लक्ष्मी जी से कहने लगी "बूढी घोड़ी लाल लगाम" । लक्ष्मी और शोभना दोनों ही खी खी करके हंसने लगी । उनको इस तरह हंसते देखकर श्यामा जी को कुछ संदेह हुआ कि वे उन्हें ही देखकर हंस रही हैं । इसलिए श्यामा जी ने जब आंखें तरेर कर लक्ष्मी जी की ओर देखा तो वे एकदम से सहम गईं और पैंतरा बदलते हुए बोली 
"आज रीना जी नजर नहीं आ रही हैं । कुछ खास बात है क्या" ? 

इससे पहले कि कोई कुछ कहता लाजो जी ने कहा "अरे , आजकल रीना जी बहुत परेशान हैं" । 
"काहे ? ई उमर में कोई तोता पाल लियो है का ? मतलब , काहू ते चोंच भिड़ा ली है का" ? बरबस उनके मुंह से हंसी का फव्वारा छूट पड़ा 
"चुप कर शैतान" । लाजो जी ने उन्हें डांट दिया "जब देखो तब मसखरी करती रहती हो । कभी तो सीरीयस रहा करो । आजकल बहुत परेशान हैं बेचारीं रीना जी" । बहुत गंभीर मुद्रा में लाजो जी बोली । ऐसा लग रहा था जैसे रीना जी से ज्यादा वे परेशान हों ।

किसी की परेशानी की बात सुनकर लोग अपनी परेशानी भूल जाते हैं । उन्हें दूसरों की परेशानी में आनंद आने लगता है । जैसे ही लाजो जी ने रीना की परेशानी की बात बहुत गंभीर मुद्रा में कही वैसे ही सब औरतों को अंदर से बहुत तसल्ली हुई कि आखिर वे ही अकेली परेशान नहीं हैं , और कोई भी परेशान है । रीना की परेशानी की बात सुनकर वे मन ही मन खुश हुईं मगर चेहरे पर दुनिया भर का दर्द लाकर फुसफुसाते हुए शोभना जी बोलीं 
"अब जल्दी से बता भी दो कि क्या परेशानी है नहीं तो हम सस्पेंस में ही मर जायेंगी सब" । 

और कोई अवसर होता तो इस डायलॉग पर एक जोरदार ठहाका लगता लेकिन अभी लाजो जी का मूड बहुत गंभीर था इसलिए हंसने की रिस्क लेना ठीक नहीं था । 

लाजो जी कहने लगीं "रीना जी की सास गांव से यहां आईं हैं रहने के लिये । बस, यही बहुत बड़ी समस्या है" । 
"जे बात है जिज्जी । हम तो कछु और ही समझ बैठे थे । सास आई हैं तो परेशानी तो साथ लाई ही होंगी । ऐसा कैसे हो सकता है कि सास आये और कोई परेशानी ना हो ? क्यों श्यामा ताई" ? 
"बिल्कुल,  सास और परेशानी तो साथ साथ ही रहती हैं । जैसे इंसान के साथ परछाई । तो सासू जी कुछ ज्यादा ही टोका टाकी करती हैं क्या" ? श्यामा जी ने पूछा ।

अब सब औरतें लाजो जी के एकदम करीब आ गई । कहीं ऐसा ना हो कि लाजो जी कोई अंदर की खबर बताएं और वे कहीं सुन नहीं पायें । ऐसा अवसर मिस करना बहुत बड़ा अपराध माना जाता है औरतों में । लाजो जी भी मामले की गंभीरता समझ कर धीरे धीरे कहने लगीं 
"जैसा आप लोग समझ रही हो, वैसा कुछ नहीं है । रीना की सास तो इतनी सीधी हैं कि कुछ बोलती ही नहीं हैं । ये तो रीना ही लगी रहती है हरदम उनके पीछे । सास की तरफ से तो कुछ भी होता रहे, उन्हें कोई मतलब नहीं है" । 
"ये लो जी । फिर काहे की परेशानी ? वैसे ही उल्लू बना रही हो जिज्जी ? आज साहब नहीं मिले क्या इसके लिये" ? लक्ष्मी अपनी आदत के अनुसार बोल पड़ी । 

"तू चिक चिक बंद करेगी तभी तो बताऊंगी । जब देखो तब चिक चिक करती रहती हो   दरअसल बात ये है कि रीना की सास गांव में रहती हैं । ठेठ गांव में । जहां अभी "विकास" के कदम नहीं पड़े हैं , ऐसे गांव में । अब ऐसे गांव में तो सब लोग ताजी और स्वच्छ हवा का सेवन करने के लिए "दिशा मैदान" जाते ही हैं । गांवों में कोई शौचालय बनवाता है क्या अपने घर में ? सब लोग खेतों में ही सब कुछ विसर्जित करते हैं । अपना पेट भी हल्का हो जाता है और फसलों को "खाद पानी" भी लग जाता है । तो उनकी सास भी खुली हवा का भरपूर आनंद ले रही थीं गांव में । मगर रीना ने उन्हें यहां पर बुलवा लिया" 

"ये तो अच्छी बात है न जिज्जी । रीना जी ने कम से कम एक काम तो अच्छा किया । वर्ना आजकल कौन बहू है जो सास को अपने पास रखती है" ? आज पहली बार लक्ष्मी ने रीना की तारीफ की थी वर्ना वह हमेशा उसकी बुराई ही करती रहती है । 

"रीना की कामवाली बाई कहीं चली गई है क्या जो उसने अपनी सास को बुलवा लिया काम करवाने के लिये" ? अब शोभना जी ने अपना ज्ञान बघारा । 

"तुम लोगों को जब ए बी सी डी पता ही नहीं है तो बीच बीच में 'आधी रोटी पे दाल' लेने क्यों कूद पड़ती हो" ? 
लाजो जी ने डांट लगाते हुए कहा 
"रीना की कामवाली बाई भी यहीं है और सास से वो कुछ काम करवाती भी नहीं है । ऐसा है कि रीना के बच्चे अब बड़े हो गये हैं न । तो अब एक ही कमरे में बच्चों के साथ सोना ठीक नहीं है । कहीं रात में बच्चे जग जायें और वो सब कुछ देख लें जो उन्हें 18 वर्ष के बाद देखना चाहिए,  तो समस्या हो जायेगी न । बच्चों पर क्या असर होगा ? बस, इसीलिए रीना ने अपनी सास को बुलवा लिया जिससे बच्चे सास के संग दूसरे कमरे में सो सकें" । 

"तो इसमें परेशानी की क्या बात है लाजो" ? अब श्यामा जी को भी रस आने लगा था । 

"इसमें परेशानी की कोई बात नहीं है दीदी । परेशानी दूसरी है । दरअसल,  वे कभी शौचालय में फ्रेश होने के लिये गई ही नहीं , हमेशा खुले मैदान में ही गई थी । यहां पर कहां है वैसा खुला मैदान ? वो तो गांव में "स्वच्छता मिशन" के अन्तर्गत सार्वजनिक शौचालय भी बन गया था मगर उसमें कोई नहीं जाता है । सरपंच की भैंस बांधती है उसमें और वही गोबर भी करती है वहां पर । बस, उसी के ही काम आ रहा है वह शौचालय" । 

"अब समस्या यह हो गई कि यहां पर उनका पेट साफ नहीं होता है । वे बंद शौचालय में ज्यादा देर तक बैठ भी नहीं सकती हैं । उनका जी घुटता है वहां पर  । उसे खोलकर भी नहीं "कर" सकती हैं । किसी के आने का डर रहता है । तो उनका "गोदाम" पूरा भरा हुआ है । आज जब उन्हें बहुत तेज दर्द उठा तो वे लोग उन्हें अस्पताल ले गये । वहां पर उन्हें "एनीमा" लगाया तब जाकर गोदाम खाली हुआ और उन्हें चैन आया । रीना अभी अस्पताल में ही है बेचारी । पर वह यह सोच सोचकर घबरा रही है कि क्या आगे भी ऐसे ही एनीमा लगाकर काम चलाना पड़ेगा ? आखिर कब तक एनीमा लगवाते रहेंगे " ? 

लाजो जी ने बात समाप्त करते हुए सबके चेहरों पर एक दृष्टि डाली जैसे कि वे देखना चाह रही हों कि इसका क्या असर हुआ है बाकी सब औरतों पर । मगर सबके चेहरे स्पाट लग रहे थे । किसी के कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की जाये । इसलिए सब चुप ही रहीं । 
काफी देर की खामोशी के बाद लक्ष्मी जी बोलीं "अब तो एक ही इलाज है जिज्जी , अपनी कॉलोनी में कोई खेत बनवाना पड़ेगा जिसमें जुताई बुवाई करवा कर उनके लिए फसल तैयार करनी पड़ेगी । आखिर उनको वो गांव का माहौल तो देना पड़ेगा न । यही परमानेन्ट इलाज होगा न जिज्जी " । लक्ष्मी के इतना कहते ही सब लोग जोर से हंस पड़ी । 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
28.5.22 

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

29-May-2022 11:09 PM

बेहतरीन भाग

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Gunjan Kamal

29-May-2022 01:35 AM

शानदार

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